प्रत्येक व्यक्ति को इन श्लोकों याद होना चाहिए और इसका अनुसरण करना चाहिए (श्लोक एवं अर्थ)
1.देवो रुष्टे गुरुस्त्राता गुरो रुष्टे न कश्चन:। गुरुस्त्राता गुरुस्त्राता गुरुस्त्राता न संशयः।। अर्थ:-भाग्य रूठ जाए तो गुरु रक्षा करता है, गुरु रूठ जाए तो कोई नहीं होता। गुरु ही रक्षक है, गुरु ही रक्षक है, गुरु ही रक्षक है, इसमें कोई संदेह नहीं।। इसलिए आप सब से आग्रह है कि अपने गुरु का आदर करें । उन्हें चरण स्पर्श करें जिससे आपके जीवन में ज्ञान की गंगा प्रवाहित हों सकें। 2.सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् , न ब्रूयात् सत्यम् अप्रियम् । प्रियं च नानृतम् ब्रूयात् , एष धर्मः सनातन: ॥ अर्थ:-सत्य बोलना चाहिये, प्रिय बोलना चाहिये, सत्य किन्तु अप्रिय नहीं बोलना चाहिये । प्रिय किन्तु असत्य नहीं बोलना चाहिये ; यही सनातन धर्म है ॥ आप अपने जीवन में सदा इन कथनों का ध्यान रखें जिससे आपको अपने जीवन में कभी भी नहीं समस्या आयेगा और आप सर्वदा विजय होंगे । 3.भूमे:गरीयसी माता,स्वर्गात उच्चतर:पिता। जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गात अपि गरीयसी।। अर्थ :- भूमि से श्रेष्ठ माता है, स्वर्ग से ऊंचे पिता हैं। माता और मातृभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ हैं। एक बात हमेशा आप सब याद रखिएगा कि संसार में माता पिता ...