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Showing posts from May, 2021

हमारे देश का नाम 'भारत' अथवा 'इंडिया ' कैसे पड़ा?

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 आप सब को बता दें कि हम लोग जिस देश में निवास करते हैं उस देश का नामकरण कैसे पड़ा। यह हरेक भारतवासी को समझना चाहिए जिससे उन्हें भी यह जानकारी मिल सके। हमारे देश को ' इंडिया ' या ' भारत 'कहा जाता है । इंडिया लैटिन या रोमन भाषा का शब्द है जिसकी व्युत्पत्ति ' इंडस ' शब्द से हुई है ।भारत के उत्तर पश्चिम में स्थित सिंधु नदी को यूनानी लोग इंडोस कहते थे । ईरान और उसके पास वाले लोग 'स ' का सही उच्चारण  नहीं कर सकने के कारण 'सिंधु ' को हिंदू कहने लगे इसलिए भारत का नाम 'इंडोस' से 'इंडिया' और  'हिंदू' से हिंदुस्तान चल पड़ा।   विष्णु पुराण में कहा गया है कि "महासागर के उत्तर में और हिमाचल पर्वत के दक्षिण में में स्थित यह देश भारतवर्ष है जहां भरत (शकुंतला से उत्पन्न दुष्यंत के पुत्र) की संतति निवास करती है अतः भरत के नाम पर इस देश का नाम भारतवर्ष पड़ा ।" Facebook page link:- https://www.facebook.com/459044514934758/posts/936607943845077/?app=fbl ( Samyak Education) Youtube link:- https://youtube.com/channel/UCV7H1vwIrt0BY3...

संस्कृत संभाषण से पूर्व ये सभी को जानकारी होना चाहिए (संस्कृत सामान्य परिचय लिंग, वचन, पुरुष, वाक्य, शब्द।)

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संस्कृत परिचय लिङ्ग परिचयः संस्कृत में लिङ्ग तीन प्रकार के होते हैं:- १. पुल्लिङ्ग:-जिससे पुल्लिङ्ग अर्थात् पुरुष जाति का बोध हों , उसे पुल्लिङ्ग कहते हैं। यथा:-रामः, बालकः, पुरुषः, गजः , वानरः इत्यादि। २. स्त्रीलिङ्ग: - जिससे स्त्री अर्थात् महिला वर्ग का बोध हो, उसे स्त्रीलिङ्ग कहते हैं। यथा:-रमा, महिला, अजा, चटका, मापिका, सीता, गीता इत्यादि। ३. नपुंसलिङ्ग:-जिससे पुरुष या स्त्री वर्ग का बोध न होकर अर्थात् अन्य का बोध हों , उसे नपुंसलिङ्ग कहतें हैं। यथा: फलम्, वृक्षम्, पत्रं, चित्रम् इत्यादि। वचन संस्कृत में वचन तीन प्रकार के होते हैं। १.एकवचनम् :- जिससे एक व्यक्ति या वस्तु का बोध हों उसे एकवचन कहते हैं। यथाः - बालकः, वृक्षम् , गीता, रामः, बालिका, इत्यादि २. द्विवचनम् :- जिससे एक से अधिक अर्थात् दो व्यक्तियों का बोध हों, उसे द्विवचन कहते हैं। यथा:-रामौ, पुस्तके, बालिके, वृक्षे इत्यादि। ३. बहुवचनम् :- जिससे दो से अधिक लोगों का बोध हों, उसे बहुवचन कहते हैं। यथाः - रामा:, पुस्तकानि,बालिका: इत्यादि। पुरुषः संस्कृत में पुरुष तीन प्रकार के होते हैं। १. प्रथम् पुरुषः - किसी नाम या सर्वनाम को ...

लघुसिद्धांतकौमुदी मङ्गलाचरण पाठ का श्लोक और अर्थ सहित ( श्रीमद्वरदराज रचित)

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नत्वा सरस्वतीं देवीं शुद्धां गुण्यां करोम्यहम्। पाणिनीयप्रवेशाय लघुसिद्धांतकौमुदीम । लघुसिद्धांतकौमुदी के प्रारंभ में कौमुदीकर्ता वरदराजाचार्य नत्वा सरस्वतीं देवीम् इस श्लोक से मंगलाचरण किया है मंगलाचरण के तीन प्रयोजन है १. प्रारंभ किये जाने वाले कार्य में विघ्न न आयें अर्थात विघ्नो का नाश हो २. ग्रंथ पूर्ण हो जाय ३. रचित ग्रंथ का प्रचार प्रसार हो। मंगलाचरण के अर्थ :- किसी भी ग्रंथ की निर्विघ्न समाप्ति के लिए ग्रंथ के प्रारंभ में लेखक अपने अधिष्ठातृ देव को प्रणाम करके मंगलाचरण का पाठ करता है इसी परंपरा का निर्वाह करते हुए श्रीमद्वरदराज सरस्वती देवी को प्रणाम करते हुए निवेदन करते हैं कि मैं शुद्ध तथा गुणमयी सरस्वती देवी को प्रणाम करके पाणिनिव्याकरण के सिद्धांतों में प्रवेश के लिए लघुसिद्धांतकौमुदी ग्रंथ की रचना कर रहा हूं। Facebook page link:-  https://www.facebook.com/459044514934758/posts/936607943845077/?app=fbl ( Samyak Education) Youtube link:-     https://youtube.com/channel/UCV7H1vwIrt0BY35O4r9Ozog Twitter link:- https://twitter.com/NkjhaSamyak?s=09 Instragram ...