लघुसिद्धांतकौमुदी मङ्गलाचरण पाठ का श्लोक और अर्थ सहित ( श्रीमद्वरदराज रचित)


नत्वा सरस्वतीं देवीं शुद्धां गुण्यां करोम्यहम्।

पाणिनीयप्रवेशाय लघुसिद्धांतकौमुदीम ।

लघुसिद्धांतकौमुदी के प्रारंभ में कौमुदीकर्ता वरदराजाचार्य नत्वा सरस्वतीं देवीम् इस श्लोक से मंगलाचरण किया है मंगलाचरण के तीन प्रयोजन है १. प्रारंभ किये जाने वाले कार्य में विघ्न न आयें अर्थात विघ्नो का नाश हो २. ग्रंथ पूर्ण हो जाय ३. रचित ग्रंथ का प्रचार प्रसार हो।

मंगलाचरण के अर्थ:-

किसी भी ग्रंथ की निर्विघ्न समाप्ति के लिए ग्रंथ के प्रारंभ में लेखक अपने अधिष्ठातृ देव को प्रणाम करके मंगलाचरण का पाठ करता है इसी परंपरा का निर्वाह करते हुए श्रीमद्वरदराज सरस्वती देवी को प्रणाम करते हुए निवेदन करते हैं कि मैं शुद्ध तथा गुणमयी सरस्वती देवी को प्रणाम करके पाणिनिव्याकरण के सिद्धांतों में प्रवेश के लिए लघुसिद्धांतकौमुदी ग्रंथ की रचना कर रहा हूं।

Facebook page link:-  https://www.facebook.com/459044514934758/posts/936607943845077/?app=fbl ( Samyak Education)

Youtube link:-     https://youtube.com/channel/UCV7H1vwIrt0BY35O4r9Ozog

Twitter link:- https://twitter.com/NkjhaSamyak?s=09

Instragram link:-  EDUCATIONNKJHA

हमारे पेज को फॉलो करें इसे शेयर करें अपने मित्रों तक बताएं  जिससे उन्हें भी लघुसिद्धांत की जानकारी मिल सकें ।

धन्यवाद 🙏🚩🙏🕉️




Comments

Popular posts from this blog

"The child"Written by Munshi Prem Chand (Question answers )

हमारे देश का नाम 'भारत' अथवा 'इंडिया ' कैसे पड़ा?

Result day[ परिणाम के दिन]